झारखंड:डॉक्टर रामेश्वर उरांव नहीं,अब बन्ना गुप्ता को विधायक दल का नेता बनाकर किस वोट बैंक साधेगी कांग्रेस

रांची ब्यूरो(झारखंड)।झारखंड में मंत्री बन्ना गुप्ता का कद बढ़ा कर कांग्रेस क्या ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी?क्या बन्ना गुप्ता कांग्रेस विधायक दल के नेता बनेंगे?क्या बन्ना गुप्ता का कांग्रेस कद बढ़ा कर ओबीसी वोट बैंक को साधेगी?इस तरह के तमाम सवाल राजनीतिक गलियारों में कही और सुनी जा रही है।●समीक्षा बैठक में सीएम के बगल में बन्ना●दरअसल,हाल के दिनों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट भवन में विभागों की एक समीक्षा बैठक हुई थी।बैठक में मुख्यमंत्री के बगल में वरीयता क्रम में पहले आने वाले मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की जगह बन्ना गुप्ता को जगह मिली थी।उसके बाद से ही यह चर्चा चल उठी है कि क्या बन्ना गुप्ता का कद बढ़ाया जाएगा।पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सरकार में मुख्यमंत्री के बाद वरीयता क्रम में आलमगीर आलम का स्थान होता था।बैठक चाहे कोई भी हो,मुख्यमंत्री के बगल में आलमगीर आलम बैठते थे।लेकिन उनके जेल जाने के बाद डॉक्टर रामेश्वर उरांव बैठने लगे थे।लेकिन हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में बन्ना गुप्ता बैठे नजर आए।सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में मुख्यमंत्री के बगल में डॉक्टर रामेश्वर उरांव का नाम प्लेट लगा हुआ था।लेकिन उसे हटवाकर बन्ना गुप्ता का नेम प्लेट लगवा दिया गया।ऐसा होने के बाद अधिकारी भी थोड़े आश्चर्य में पड़े,लेकिन आदेश को मानना पड़ा।●क्या कांग्रेस में बन्ना गुप्ता का कद बढ़ेगा●दरअसल,आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद और मंत्री पर छोड़ने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद खाली है।आलमगीर आलम की जगह किसी मंत्री के नाम की घोषणा भी नहीं हुई है।उम्मीद की जा रही थी कि मंत्री पद की घोषणा हो जाएगी।आलमगीर आलम की जगह डॉक्टर इरफान अंसारी या दीपिका पांडे सिंह मंत्री बनाए जा सकते हैं। 12वे मंत्री के पद को भरने की भी चर्चा थी।चर्चा यह भी थी कि कल्पना सोरेन को 12वां मंत्री बनाया जा सकता है।लेकिन अभी तक कुछ ऐसा हुआ नहीं है।इस बीच मुख्यमंत्री के बगल में समीक्षा बैठक में बन्ना गुप्ता के बैठने से एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है कि क्या कांग्रेस में बन्ना गुप्ता का कद बढ़ेगा और डॉक्टर रमेश रामेश्वर उरांव की उम्र अब उन पर भारी दिखेगी।●गठबंधन के लोगों को ओबीसी वोट बैंक की चिंता बढ़ गई●चर्चा यह भी है कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन पांच आदिवासी सीट जीतने के बाद भरोसा कर रही है कि आदिवासी सीटों पर उसे विधानसभा में भी सफलता मिलेगी।लेकिन ओबीसी वोट बैंक को साधना कांग्रेस के लिए जरूरी है।केंद्रीय कैबिनेट में अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ को जगह दी गई है।दोनों ओबीसी से आते हैं। इसके बाद गठबंधन के लोगों को ओबीसी वोट बैंक की चिंता बढ़ गई है।फिलहाल झारखंड में कांग्रेस के पास ओबीसी वर्ग से बन्ना गुप्ता,प्रदीप यादव,दीपिका पांडे सिंह,अंबा प्रसाद,जयप्रकाश भाई पटेल जैसे नेता है।लेकिन सूत्र बताते हैं कि अगर विधायक दल के नेता का पद बन्ना गुप्ता को मिलता है तो उसमें तकनीकी पेंच फंस सकता है।हेमंत सोरेन के 29 दिसंबर 2019 को लिए गए शपथ में उनके साथ आलमगीर आलम,डॉक्टर रामेश्वर उरांव और सत्यानंद भोक्ता थे।करीब एक महीने बाद अन्य मंत्री,जिसमे बन्ना गुप्ता भी थे,शपथ ली थी। कैबिनेट में वरीयता का क्रम हमेशा शपथ लेने के आधार पर निर्धारित होता है।आलमगीर आलम के हटने के बाद वरीयता के क्रम में डॉक्टर उरांव का स्थान आता है।लेकिन उनकी जगह मंत्री बन्ना गुप्ता को मुख्यमंत्री के बगल में जगह दी गई।ऐसे में मंत्री बन्ना गुप्ता का कद बढ़ाने के लिए सरकार को नोटिफिकेशन जारी करना पड़ सकता है।आलमगीर आलम भ्रष्टाचार के आरोप में फिलहाल जेल में है।उनके पास के पोर्टफोलियो ले लिए गए हैं और सभी विभाग अभी मुख्यमंत्री के पास है।विधानसभा चुनाव में अब अधिक वक्त नहीं है।ऐसे में गठबंधन हर कदम फूंक फूंक कर उठा रहा है।झारखंड का विधानसभा चुनाव एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है तो गठबंधन के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है।एनडीए चाहेगा कि झारखंड सरकार में फिर से वह काबिज हो,जबकि इंडिया ब्लॉक चाहेगा कि उसकी सरकार झारखंड में कंटिन्यू करें।देखना होगा कि आगे आगे होता है क्या?