झारखंड : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी पर्यटन नीति 2021 का लोकार्पण किया
1 min read

ब्यूरोचीफ,रांची:आइटीसी मौर्या होटल नयी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड टूरिज्म पालिसी 2021 का लोकार्पण किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यटन सचिव डॉ अमिताभ कौशल ने कहा कि जैसा कि आप लोगों को जानकारी हैं कि सरकार नयी नीति घोषित कर रही है। झारखंड में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं।झारखंड के टूरिस्ट डेस्टीनेशन के लिए कई एडवांटेज हैं।पहला टोपोग्राफी है।छोटे-छोटे पहाड़ हैं।30 प्रतिशत वन हैं। इस टेरेन में कई डैम, प्राकृतिक वाटर बॉडिज हैं। गंगा भी साहेबगंज जिले से गुजरती है।खान और खदान आधारित पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं।कोयला और लौह अयस्क की कई खदानें हैं,जिसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।टूरिज्म से काफी नियोजन सृजित होती है।इंडस्ट्री के साथ विकास भी होता है। हमलोग पर्यावरण अनुकूल समेकित विकास चाह रहे हैं। जोहार का मतलब है हमारी नीति समेकित विकास से बात हो रही है पूरे पारिस्थिकीय विकास को लेकर बात हो रही है पूरे पारिस्थिकीय विकास की। इसमें वन,आम व्यक्ति,वन्य जीवों के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा।लोग घूमेंगे,पढ़ेंगे खुश रहेंगे। कस्टमर के प्वाइंट से उनकी खुशी अधिक महत्व है।कई सारी चीजें हैं।हमारे राज्य में प्रीमिटव ट्राइब्स हैं।उनकी अलग संस्कृति है।पर्यावरण के अनुकूल उनकी जिंदगी आधारित है।लोकेशन के कनेक्टिविटी को हम प्राथमिकता दे रहे हैं।
हम पर्यटक स्थलों के बीच सड़क,होटल और अन्य के बीच सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं।झारखंड उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत के बीच में कड़ी के रूप में हैं।हमारे बार्डर उत्तर प्रदेश,बिहार, मध्य प्रदेश,पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,ओड़िशा से है।रेल कनेक्टिविटी के अलावा रांची एयरपोर्ट और देवघर एयरपोर्ट भी है।इसके अलावा क्रूज चलाने की भी संभावना है।30 एनएच हैं।रांची और देवघर एयरपोर्ट से कई जगहों की कनेक्टिविटी है।गंगा साहेबगंज से पास होती है। रीवर कनेक्टिविटी भी है। अभी टूरिज्म की बात करें,तो धार्मिक टूरिज्म भी हो रही है। रीजनल,नेशनल और अंतरराज्यीय स्तर पर पर्यटक आते हैं।देवघर का बाबाधाम मंदिर,बोकारो में एक पर्यटक स्थल है।गिरडीह में पारसनाथ की पहाड़ी,चतरा में इटखोरी है।यहां बौद्ध,जैन टूरिस्ट आते हैं।रामगढ़ में छिन्न मस्तिस्का मंदिर भी है।इको टूरिज्म वन क्षेत्र में बढ़ावा देंगे।30 फीसदी वन क्षेत्र हैं।कई चुनौतियां हैं,स्ट्रेंग्थ है।हमारे यहां एक राष्ट्रीय पार्क है और कई अभ्यारण्य हैं,जिसे इको टूरिज्म से जोड़ा जायेगा। इको टूरिज्म के अलावा नेतरहाट की पहाड़ियां, सारंडा के जंगल,नेशनल टोपोग्राफी के रूप में कई जल प्रपात हैं।हमारे यहां बारिश पर आधारित नदियां हैं,जिस पर ही जल प्रपात बने हुए हैं।कई सारे डैम बनाये गये हैं।पतरातू, चांडिल,मसानजोर,तिलैया, मैथन,तेनुघाट डैम,गेतलसूद डैम है।धार्मिक और इको टूरिज्म बड़े पिलर हैं।हेरिटेज टूरिज्म हैं।हिस्टोरिकल और प्री हिस्टोरिक मेगालिथिक पार्क,दुमका में मालूटी मंदिर, राजमहल का जामा मस्जिद, रांची का मैक्लूस्कीगंज, हेरीटेज साइट हैं।सांस्कृतिक टूरिज्म भी हैं।सामुदायिक स्तर पर सरहुल,दुर्गा पूजा, रामनवमी जैसे फेस्टिवल हैं। सोहराय पेंटिंग्स,तसर सिल्क का प्रोडक्शन,हैंडीक्राफ्ट्स, बांस के निर्मित उत्पाद, पाईका और छउ नृत्य भी हैं। निजी सेक्टर को पर्यटन में निवेश पर रियायत दी जायेगी।स्टेट गवर्नमेंट के बड़े इन्वेस्टमेंट हैं।पब्लिक इनवेस्टमेंट और क्लाउड इनवेस्टमेंट नहीं हो रही है। सामुदायिक भागीदारी होना जरूरी है।सिंगल विंडो सिस्टम के जरिये सारे प्रस्ताव को रूट किया जायेगा। इंडस्ट्री के लिए जो प्रस्ताव दिये जायेंगे,रियायत की जो बातें हैं,उसे निवेशकों को सिंगल विंडों के जरिये ही सभी तरह की रियायतें दी जायेंगी।इंसेटिव की रियायत दी जायेगी।10 करोड़ तक इनवेस्टमेंट में 25 फीसदी की रियायत दी जायेगी।पांच वर्षों तक जीएसटी,स्टांप ड्यूटी तक की छूट दी जायेगी। कैपिटल सब्सिडी 50 लाख तक दी जायेगी।फिस्कल इंसेटिव से ही सारी छूट दी जायेगी,और भी चीजें हम लोगों के पाइपलाइन में हैं। टूरिज्म इकोनोमिक जोन बनायेंगे।पबिल्क प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत टूरिज्म इकोनोमिक जोन बनाया जायेगा।टूरिज्म विलेज इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जायेगा। टूरिस्ट के लिए सिक्यूरिटी फोर्स की परिकल्पना की गयी है।टूरिज्म का प्रमोशन करेंगे।