बिरसा मुंडा समेंत अन्य नायकों के बारे में हमें अब भी है बहुत कम जानकारी,शोध की है आवश्यकता:कुलपति डा अजीत सिन्हा

●आदिवासियों को किसी पुजारी ब्राह्मण की आवश्यकता नहीं वो ईश्वर से सीधा संवाद करते हैं:पद्मश्री अशोक भगत●
रांची ब्यूरो।15 नवंबर को रांची विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग के अखड़ा भवन में जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री अशोक भगत थे। कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री अशोक भगत,कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा,डॉ. बी.पी.सिन्हा,डॉ हरि उरांव व विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों द्वारा बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।इस कार्यक्रम के लिये खास तौर से परफॉर्मिंग आर्ट विभाग के छात्र कलाकारों ने भगवान बिरसा मुंडा की सुंदर प्रतिमा का निर्माण किया था। पुष्पांजलि के बाद छात्राओं द्वारा विश्वविविद्यालय के कुलगीत से कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया।
कार्यक्रम में कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा पर आज तक जितना भी लिखा गया और बताया गया है वह बहुत कम है।मैं चाहुंगा कि इस पर और ज्यादा शोध हो।रांची विश्वविद्यालय का टी.आर.एल.विभाग इस क्षेत्र में और कार्य करे।उन्होंने कहा कि,मुझे यह जान कर आश्चर्य हुआ कि भगवान बिरसा मुंडा सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान के नायक ही नहीं थे बल्कि जड़ी बुटियों से चिकित्सा जिसे होरोपैथी कहते हैं उसके भी अच्छे जानकार थे।वास्तव में हमारे इन नायकों के बारे में हमारी जानकारी आज भी बहुत ही सीमित है।
स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के निदेशक डॉ. बी.पी.सिन्हा ने कहा कि बिरसा मुंडा हों या सिदो कान्हो या स्वतंत्रता के हमारे अन्य जनजातीय नायक इन सबके बारे में हम एक पक्ष् को ही जानते हैं।भगवान बिरसा मुंडा स्वयं बहुत अच्छे बांसुरी वादक भी थे।हमारे लिये यह अति प्रसन्नता और गर्व की बात है कि केन्या जैसे देश में भी झारखंड चैप्टर की शुरूआत हुयी है।
वहीं मुख्य अतिथि पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि आज हम रांची विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग में यह जनजातीय गौरव दिवस मना रहे हैं।इस विभाग के संस्थापक स्व.डॉ. रामदयाल मुंडा ने कभी कहा था कि आदिवासियों को कभी भी किसी पुजारी ब्राह्मण की आवश्यकता नहीं होती वह ईश्वर से सीधा संवाद करते हैं।आज 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के बजाय राष्ट्रीय गौरव दिवस मनाया जाना चाहिये।कार्यक्रम में टीआरएल विभाग के निदेशक डॉ.हरि उरांव ने भी भगवान मुंडा बिरसा की जीवनी के पहलुओं पर प्रकाश डाला और फूलो झानो का उदाहरण देकर बताया कि हमें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में झारखंड की आदिवासी महिला आंदोलनकारियों के योगदान को भी कमतर नहीं आंकना चाहिये।नागपुरी विभाग के डॉ उमेश नन्द तिवारी ने भी सिद्धू कान्हू पर विचार व्यक्त किए।माननीय गोवींद नायक जी,राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, एबीवीपी भी अपने विचार रखें।इनके अलावा कई अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।कार्यक्रम में टीआरएल विभाग के छात्रों द्वारा एक पारंपरिक गीत की मोहक प्रस्तुति दी गयी। इसके बाद परफॉर्मिंग आर्ट विभाग के छात्रों द्वारा एक लाजवाब नृत्यनाटिका की प्रस्तुति दी गयी।जिसे देख कर अखड़ा में उपस्थित सभी छात्र,दर्शक एवं अतिथि विभोर हो गये।अखड़ा में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम के समापन के बाद टीआरएल विभाग में पारंपरिक जनजातीय व्यंजन का लुत्फ मुख्य अतिथि,कुलपति, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण समेत वहां आये लोगों ने उठाया। कार्यक्रम का संचालन टीआरएल विभाग के श्री किशोर सुरीन ने किया और समापन पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ.गौरी शंकर झा ने किया।इस अवसर पर परीक्षा नियत्रंक डॉ.आशीष झा, डीएसडब्ल्यु आर.के शर्मा, वाकेशन की डिप्टी डायरेक्टर डॉ.स्मृति सिंह समेत विश्वविद्यालय के बहुत सारे पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।इस आयोजन के बाद टीआरएल विभाग में एक स्पीच कंप्टीशन का भी आयोजन किया गया,जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया।

