झारखंड : दो एएमओ,एमवीआइ समेत 9 लोग एसीबी कोर्ट से 12 साल बाद बरी
1 min read
ब्यूरो रांचीःलौह अयस्क तस्करी रोकने को चाईबासा हाटगम्हरिया मुख्य मार्ग पर गितिलिपी में चेकनाका बनाया गया था।मगर इस नाके पर रिश्वत लेकर खनिज लदे ट्रकों को पार कराने के मामले में दो सहायक खनन पदाधिकारी(एएमओ)व एक एमवीआइ समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था।अब इस मामले में चाईबासा एसीबी कोर्ट का निर्णय आया है।साक्ष्याभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।कोर्ट से जिन लोगों को राहत मिली है उनमें पश्चिमी सिंहभूम जिले के तत्कालीन सहायक खनन पदाधिकारी सचिदानंद सिंह, सहायक खनन पदाधिकारी दिवाकर सिंह,जिला परिवहन विभाग के एमवीआइ मनोज पांडेय,दलाल अनिल गुप्ता, एमवीआइ का रिश्तेदार सत्येन्द्र पांडेय,राधेश्याम झा, विकास पाठक,शिवा खंडाइत और सत्येंद्र सिंह शामिल हैं.
यह मामला 28 जनवरी 2010 का है।गितिलिपी में प्रशासन की ओर से लौह अयस्क की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए इस दौरान चेकनाका बनाया गया था।तब एसीबी को गुप्त सूचना मिली थी कि चेकनाका से लौह अयस्क लदे ट्रकों को रिश्वत लेकर पार कराया जाता है।इसके बाद 28 जनवरी 2010 को रांची से एसीबी की टीम ने चाईबासा आकर चेकनाका पर औचक छापामारी की. इस दौरान तालाशी लेने पर एमवीआइ मनोज पांडेय की जेब से 22 हजार रुपये, सहायक खनन पदाधिकारी सचिदानंद सिंह की जेब से 20 हजार रुपये,दिवाकर सिंह की जेब से 4 हजार 700 रुपये,दलाल अनिल गुप्ता की जेब से 6 हजार रुपये और सत्येंद्र पांडेय की जेब से 4900 रुपये बरामद होने की बात कही गई थी। इसके बाद एसीबी ने इनके घरों में भी तालाशी ली थी तालाशी में सचिदानंद के क्वार्टर से 70 हजार 800 रुपये,मनोज पांडेय के क्वार्टर से 83 हजार रुपये और एक डायरी बरामद की थी।डायरी में अवैध धंधे से जुड़े 18 लोगों के नाम होने की बात एसीबी ने कही थी।एसीबी ने औचक छापेमारी के बाद सभी नौ लोगों पर केस दर्ज करते हुए जेल भेज दिया था। 12 साल बाद अब इस मामले में एसीबी कोर्ट में फैसला आया है।मंगलवार को एसीबी न्यायालय के न्यायाधीश ने पेश किये गये सबूतों व गवाहों को आधार बनाकर साक्ष्याभाव में सभी नौ लोगों को बरी कर दिया है।इसकी जानकारी होते ही यह मामला जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है।