बिहार : सीयूएसबी में केरल का ‘ओणम’ भव्य तरीके से मनाया गया
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ब्यूरो पटना:दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ रहे ‘केरल के मलयाली छात्रों’ के बैनर तले केरल का राष्ट्रीय उत्सव ‘ओणम’ शानदार तरीके से बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया।सीयूएसबी के जन सम्पर्क पदाधिकारी मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार ओपन-एयर सभागार में ओणम उत्सव आयोजिय किया गया।केरल के प्राध्यापकों,विद्यार्थियों के साथ सबने इस विशेष त्यौहार को पुरे जोश व खरोश से मनाया। नोर्थओणम शीर्षक पर आयोजित ओणम उत्सव के अंतर्गत ओनापट्टू, तिरुवथिरकली,बोरी रेस, लेमन स्पून रेस,रस्साकशी, फ्लैश मॉब आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सबका मन मोह लिया।पीआरओ मो.मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो.कामेश्वर नाथ सिंह ने किया अपने भाषण में प्रो.के.एन. सिंह ने ओणम उत्सव को कैंपस में मनाने के लिए परिसर के मलयाली बिरादरी के प्रयासों को बधाई दी।उन्होंने कहा कि यह उत्सव सीयूएसबी परिसर के राष्ट्रीय चरित्र का एक प्रमाण है।यह त्योहार जाति, समुदाय,धर्म और पंथ की परवाह किए बिना लोगों के बीच एकता और एकता के महत्व की याद दिलाता है। माननीय कुलपति ने इस तरह के आकर्षक तरीके से परिसर में ओणम उत्सव आयोजित करने के लिए परिसर के मलयाली छात्रों के प्रयासों की प्रशंसा की।उन्होंने लोगों के बीच एकता और अखंडता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसे राष्ट्रीय त्योहारों के माध्यम से विश्वविद्यालय एक समुदाय की भांति दिखता है जो काफी सराहनीय है।प्रो.पवन कुमार मिश्रा,डीन छात्र कल्याण(डीएसडब्ल्यू) ने अपने उद्घाटन भाषण में परिसर में रंगारंग तरीके से ओणम उत्सव आयोजन करने के लिए छात्रों की सराहना की।उन्होंने कहा की इस आयोजन ने परिसर के सभी सदस्यों को ओणम के संदेश को समझने का मौका दिया है।प्रो.मिश्रा ने कहा कि उनका कार्यालय भविष्य में इस तरह के आयोजनों का समर्थन करेगा।प्रो.कृष्णन चालिल,डीन स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज,जो स्वयं केरल से ताल्लुक रखते हैं,ने कार्यक्रम की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने बचपन में अपने ओणम के अनुभवों को याद किया।प्रो. चलील ने कहा कि ओणम केरल में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है।ओणम त्योहार 10दिनों तक मनाया जाता है और अंतिम दिन एक साध्य के साथ समाप्त होता है।केरल के पौराणिक राजा मावेली(महाबली)का स्वागत करने के लिए हर मलयाली के घर को आमतौर पर रंगीन रंगोली से सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मवेली के शासन काल में कोई चोरी नहीं होती थी,दरिद्रता होती थी और लोग मिल-जुलकर रहते थे।ओणम बाधाओं को कुचलता है और लोगों को उनकी जाति या पंथ की परवाह किए बिना जोड़ता है। ओणम राक्षस राजा महाबली की धरती पर यात्रा को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।प्रो.चलिल ने कहा यह याद दिलाता है कि हमारे पास अपने प्रयासों से उसी कल को बनाने की शक्ति है। प्रो.प्रणव कुमार,डिप्टी प्रॉक्टर ने भी परिसर में ओणम के आयोजन के लिए केरल के छात्रों की पहल की सराहना की।परीक्षा नियंत्रक श्रीमती रश्मि त्रिपाठी ने अपने भाषण में मलयाली छात्रों द्वारा परिसर में प्रायोजित समारोह की सराहना की।उन्होंने कहा की इस तरह के समारोह एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान का हिस्सा हैं।लगभग 80 मलयाली छात्र कार्यक्रम के आयोजन समिति का हिस्सा थे।छात्रों की ओर से एमएससी पर्यावरण विज्ञान के श्री आकाश,अंग्रेजी विभाग से सुश्री आसिफा और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सुश्री निरोशा निक्सन फर्नाडीज ने टीम का नेतृत्व किया।विकास अध्ययन के मलयाली सहायक प्रोफेसर श्री अहमदुल कबीर ए.पी.ने कार्यक्रम के आयोजन में छात्रों का मार्गदर्शन किया। ओणम उत्सव के अंत में सभी प्रतिभागियों को दूध पायसम(खीर)के साथ परोसा गया।