बिहार : गीता का आदर्श पद्यानुवाद हैं ब्रह्मानन्द पाण्डेय की’श्रीमद्भगवदगीता’,●आदर्श और मूल्यवान जीवन की मूर्तमान प्रेरणा थे ‘जगतबंधु’
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ब्यूरो,पटना:भारतीय जीवन और आदर्शों को सहस्राब्दियों से अनुप्राणित करने वाले महान ग्रंथ ‘गीता’ का अनेक भाषाओं में अनेकों विद्वानों और ऋषियों ने अनुवाद किए हैं और भाष्य लिखे हैं।यह कार्य आज भी प्रवहमान है। इस दिव्य ग्रंथ का हिन्दी पद्यानुवाद,गीति-काव्य के चर्चित रचनाकार डा ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने भी किया है।सरस छंदों में आबद्ध श्री पाण्डेय का यह अनुवाद आदर्श पद्यानुवाद माना जा सकता है।यह बातें शुक्रवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में,स्मृतिशेष साहित्यकार जगत नारायण प्रसाद ‘जगतबंधु’ की जयंती पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन-अध्यक्ष डॉक्टर अनिल सुलभ ने कही। जगतबंधु जी को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि,अपने जीवन को किस प्रकार मूल्यवान और गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकता है,इसके जीवंत उदाहरण और प्रेरणा-पुरुष थे,’जगतबंधु जी।उनका अनुशासित और कल्याणकारी जीवन स्वयं में हीं एक ऐसा ग्रंथ रहा, जिसका अध्ययन कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को मूल्यवान और सार्थक बना सकता है।९३ वें वर्ष की आयु में उन्होंने अपना देह छोड़ा, पर ९२ वर्ष की अवस्था में भी,वे ७० वर्ष के किसी व्यक्ति से अधिक स्वस्थ, सक्रिय और ज़िंदादिल दिखते थे।जीवन से सात्विक-प्रेम रखने वाले और सबके लिए कल्याण की सदकामना रखने वाले कर्म-योगी जगतबंधु जी की हिन्दी सेवा भी श्लाघ्य और अनुकरणीय है।बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में अपनी निष्ठापूर्ण सेवाओं से अवकाश लेने के पश्चात जगतबंधु जी साहित्य की ओर अभिमुख हुए और हिन्दी साहित्य की भी उसी निष्ठा से सेवा की। ‘गीतांजलि’ के नाम से ‘गीता’ पर हिन्दी में लिखी इनकी पुस्तक,उनके विशद आध्यात्मिक ज्ञान,चिंतन और लेखन-सामर्थ्य का ही परिचय नहीं देती,पाठकों को गीता के सार को समझने की भूमि भी प्रदान करती है।समारोह के मुख्यअतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि कवि ब्रह्मानंद ने गीता पर भाष्य नहीं बल्कि उसका हिन्दी भाषा में सरल और सरस गीतात्मक पद्यानुवाद किया है।गीता जैसे ग्रंथ ज्ञान को क्रियात्मक और अनुभूतिपरक होने की अपेक्षा करते हैं।इस अवसर पर सुप्रसिद्ध पर्यावरण-वैज्ञानिक और साहित्यकार डा मेहता नगेंद्र सिंह की ८२पूर्ति पर आज उनका भी ससम्मान अभिनन्दन किया गया। सम्मेलन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जियालाल आर्य,डा शंकर प्रसाद,सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, जगतबंधु जी के पौत्र विश्व रंजन तथा सत्य प्रियदर्शी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवयित्री डा शालिनी पाण्डेय,डॉ प्रणव पराग,कुमार अनुपम,डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी,जय प्रकाश पुजारी,श्रीकांत व्यास,अर्जुन प्रसाद सिंह, अजीत कुमार,नरेंद्र कुमार आदि कवियों ने काव्य-पाठ किया।कार्यक्रम का संचालन व्यंग्य के वरिष्ठ कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सुनील कुमार दूबे ने किया।इस अवसर पर बांके बिहारी साव,अमित कुमार सिंह,डॉ चंद्रशेखर आज़ाद,दुःख दमन सिंह,अभिषेक कुमार,गरिमा मिश्रा,रंगोली पाण्डेय,आदर्श आर्या,अमन कुमार समेत बड़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे।