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सरकारी नौकरी परीक्षाओं के परिणाम और विधानसभा चुनाव:क्या असफल उम्मीदवारों की नाराजगी एनडीए के लिए चुनौती बनेगी?

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•विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी नौकरियों के परीक्षा परिणामों का एनडीए सरकार के वोट बैंक पर संभावित असर:एक विस्तृत विश्लेषण•

 

 

 

 

पटना(बिहार ब्यूरो)।बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले,विभिन्न सरकारी विभागों में भर्तियों के लिए आयोजित परीक्षाओं के परिणाम एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बनते जा रहे हैं।खासकर सिपाही बहाली,बीपीएससी और पुलिस अवर सेवा आयोग जैसी प्रमुख परीक्षाओं के परिणाम आने से लाखों की संख्या में ऐसे युवा उम्मीदवार प्रभावित हो रहे हैं,जो सफल नहीं हो पाए। इन असफल उम्मीदवारों की सोच और नाराजगी का असर क्या एनडीए सरकार के वोट बैंक पर पड़ेगा,यह एक बड़ा सवाल है।सिपाही बहाली,बीपीएससी और बीपीएसएससी जैसी परीक्षाओं में सफल होने वाले उम्मीदवारों की संख्या असफल होने वालों की तुलना में बहुत कम होती है। लाखों की संख्या में युवा इन परीक्षाओं की तैयारी में सालों बिताते हैं,लेकिन एक बड़ी आबादी को निराशा हाथ लगती है।इन युवाओं में एक बड़ी आबादी ऐसी है जो सरकार से रोजगार और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद करती है।जब वे असफल होते हैं,तो उनकी यह उम्मीद टूटती है,जिससे सरकार के प्रति उनकी सोच नकारात्मक हो सकती है।
कई बार परीक्षा परिणामों में देरी,धांधली के आरोप या कट-ऑफ को लेकर उठे सवाल भी असफल उम्मीदवारों की नाराजगी को बढ़ाते हैं।वे अक्सर यह महसूस करते हैं कि प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता नहीं थी,जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।बिहार में बेरोजगारी की दर एक गंभीर मुद्दा है।इन परीक्षाओं में असफलता इस समस्या को और भी गहरा करती है।युवा महसूस करते हैं कि उनके पास रोजगार के अवसर सीमित हैं,और सरकार इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं कर रही है।लाखों की संख्या में असफल युवा और उनके परिवार सीधे तौर पर इस मुद्दे से प्रभावित होते हैं।ये सभी मतदाता हैं।अगर इन युवाओं की नाराजगी बढ़ती है,तो यह एनडीए के पारंपरिक वोट बैंक(जैसे युवा,मध्यम वर्ग,और शिक्षित वर्ग)में सेंध लगा सकती है।विपक्षी दल इस मुद्दे को हाथों-हाथ ले सकते हैं।वे इसे बेरोजगारी,सरकारी भर्तियों में विफलता और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ के रूप में पेश कर सकते हैं।यह उन्हें सरकार को घेरने का एक मजबूत मौका देगा।
हालांकि,यह भी सच है कि इन परीक्षाओं में सफल होने वाले उम्मीदवार और उनके परिवार सरकार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रख सकते हैं।सरकार यह कहकर खुद का बचाव कर सकती है कि उसने रोजगार के अवसर प्रदान किए और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया है।बिहार की राजनीति में जाति और क्षेत्र का भी बड़ा महत्व है।अगर असफल उम्मीदवारों की संख्या किसी विशेष जाति या क्षेत्र से ज्यादा है,तो इसका राजनीतिक असर उस क्षेत्र या समुदाय के वोटों पर भी पड़ सकता है।
वैसे यह कहना मुश्किल है कि सिर्फ इन परीक्षाओं के परिणामों से एनडीए सरकार के वोट बैंक पर कितना असर पड़ेगा।लेकिन यह निश्चित है कि लाखों की संख्या में असफल युवाओं की नाराजगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।सरकार को इस चुनौती का सामना करने के लिए न सिर्फ सफल उम्मीदवारों को साधने की कोशिश करनी होगी,बल्कि असफल उम्मीदवारों की निराशा को कम करने के लिए भी कदम उठाने होंगे। बेरोजगारी और रोजगार के मुद्दे पर सरकार का प्रदर्शन आगामी विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण निर्णायक कारक साबित हो सकता है।

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