नक्सलवाद से लड़ाई में कर्जदार बनता झारखंड! ●राज्य सरकार पर सीआरपीएफ का बकाया पहुंचा 11हजार 348 करोड़ 58 लाख रुपये●
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रांची(झारखंड)।जिस गरीबी,भूख,बेरोजगारी और सामाजिक वंचना के खिलाफ कथित रुप से नक्सलवाद का जन्म हुआ।अब उसी नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में राज्यों के संसाधन का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता नजर आ रहा है।यदि बात हम झारखंड की करें तो राज्य सरकार पर सीआरपीएफ यानी सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की दावेदारी 11हजार 348 करोड़ 58 लाख रुपए तक पहुंच चुकी है।एक तरफ राज्य सरकार गरीबी भूखमरी के खिलाफ जंग की बात करती है तो दूसरी तरफ उसे इस जंग से कटौती कर अपने सीमित संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा केन्द्रीय बलों के भुगतान पर लगाना पड़ रहा है।ध्यान रहे कि पिछले साल राज्य सरकार ने करीबन 1700 करोड़ रुपये का भुगतान किया था,बावजूद इसके यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।जिसके बाद पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिख कर केन्द्रीय बलों के बकाये की पूरी रिपोर्ट की मांग की गयी है ताकि भुगतान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।●अभी राज्य में सीआरपीएफ की 132 कंपनियां तैनात है●यहां हम बता दें कि अभी राज्य में सीआरपीएफ की 132 कंपनियां तैनात है और यह तैनाती पिछले करीबन डेढ़ दशक से बनी हुई है।बताया जाता है कि देश की कुल 70 नक्सल प्रभावित जिलों में से झारखंड के आठ जिले शामिल हैं।इन जिलों चतरा,गिरिडीह,गुमला,खूंटी, लोहरदगा,लातेहार, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम जिला शामिल है।जबकि बोकारो, धनबाद,पूर्वी सिंहभूम,सिंहभूम,गढ़वा और हजारीबाग में भी इनकी सामान्य उपस्थिति है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि राज्य में नक्सलियों की कमर टूट चुकी है,लेकिन बावजूद इसके नक्सली बार-बार अपनी गतिविधियों को अंजाम देकर अपनी मारक क्षमता का प्रर्दशन करते रहते हैं।पुलिस प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद आज भी नक्सलवाद झारखंड की प्रमुख समस्या बनी हुई है।

                        
                                    
                                    
                                    
                                    
                                    
                                
                                
                                
                            
                            
                            
                            