रघुवर दास के जाने के बाद क्या बदल जायेगी झारखंड भाजपा,क्या बिछड़े नेताओं की होगी वापसी ?
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रांची(झारखंड)।18 अक्टूबर की अंधेरी रात गहराने वाली थी,बस सभी लोग नींद की आगोश में जाने ही वाले थे।तब ही,अचानक झारखंड भाजपा में खलबली मची कि रघुवर दास ओड़िसा के राज्यपाल नियुक्त कर दिए गये हैं।ये खबर आग की लपटों के माफिक फैली और कईयों की नींद-चैन उड़ाकर ले गई।तरह-तरह की अटकले और अंदर-अंदर फुसफुसाहट और बयानबाजियां तेज हो गई।अगले दिन तक सारी सियासी चर्चाए इसी के ईर्द-गिर्द चक्कर लगाती रही।क्योंकि,भाजपा आलकमान का इतना बड़ा फैसाल कईयों को तो पचा ही नहीं। राजनीति में ये खबर बवंडर की तरह था,क्योंकि झारखंड बीजेपी में पूर्व सीएम रघुवर का कद और शख्सियत बड़ी थी।उन्हें अचानक किनारे लगा दिए जाना समझ से परे था।हालांकि,भविष्य तय करेगा कि आखिर क्या सोचकर कदम उठाया गया? लेकिन,रघुवर के जाने के बाद बिछड़े चेहरे के आने के कयास और बाते सरगर्मी से हो रही है।इनमे वो नाम भी शुमार हो रहे हैं,जिनकी रघुवर दास से उतनी नहीं बनती थी।खींचतान तो सियासत का स्वभाव रहा ही है,इससे इंकार नहीं किया जा सकता।बीजेपी की चाहत एकबार फिर पुराने औऱ बिछड़े नेताओं को लाने की होगी,जिनकी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है।भगवा पार्टी का मकसद आगामी लोकसभा चुनाव है। जिसकी तैयारी में कोई कमी या कौताही नहीं रखना चाहती।जिन नामों की चर्चा बेशुमार हो रही है,आईए कुछ नामों को जानते हैं।●विधायक सरयू राय और अमित यादव●पूर्वी जमशेदपुर से विधायक सरयू राय 2019 में टिकट कट गया था,इस नाराजगी के चलते,वो रघुवर दास के खिलाफ बगावत पर उतर गये थे।बीजेपी से हटकर उन्होंने निर्दलीय ही जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ा और करारी शिकस्त दे डाली थी।रघुवर दास के खिलाफ लगातार बयानबाजी करने के बावजूद बीजेपी नेताओं से उनके अच्छे संबंध रहें है।बीजेपी में वापसी की बात पर उन्होंने नहीं किया है।राज्य के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी,प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश तक पूर्व में सरयू राय की वापसी की कोशिश कर चुके हैं।वर्ष 2014 में बरकट्टा विधानसभा में बीजेपी के तत्कालीन विधायक अमित यादव को जेवीएम के जानकी यादव ने हरा दिया था। लेकिन,बाद में जानकी यादव ने जेवीएम के छह विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गये थे।साल 2019 में अमित यादव ने भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जानकी यादव को हरा दिया। हेमंत सरकार को मुद्दों के आधार पर समर्थन दिया था। इसके साथ ही दीपक प्रकाश को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भी अपना समर्थन जाहिर किया था।अमित की भाजपा में वापसी दिखाई पड़ रही है,क्योंकि एनडीए के कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी दिख रही है।●जमशेदपुर में भी कई नेताओं के वापसी की उम्मीदें●रघुवार दास के राज्यपाल बनाए जाने के बाद जमशेदपुर में भी बीजेपी से बिछड़े नेताओं के वापसी की बात की जा रही है। 2019 में भाजपा से निलंबित किए गये पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले की लौटने की उम्मीदें की जा रही है।अर्जुन मुंडा के करीबी माने जाने वाले काले को साल 2019 में रघुवर दास से भीतरघात के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। काले के साथ ही मलखान सिंह के भी भाजपा में आने की बात सरगर्मी से की जा रही है।प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हाल ही में उनसे मुलाकात की थी।तब से ही सुगबुगाहट तेज मानी जा रही है।ऐसा माना जा रहा है कि अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह दशहरा के बाद भाजपा से जुड़े सकते हैं।खैर किसकी वापसी होगी और किसकी नहीं ये तो वक्त तय करेगा।लेकिन,रघुवर दास के जाने के बाद भाजपा में बदलाव औऱ नये चेहरे तो देखने को मिलेंगे।इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता।