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मुद्दा:झारखंड विधानसभा चुनाव:भाजपा कार्यकर्ताओं का सवाल-निश्चित को छोड़ अनिश्चित की ओर क्यों बढ़ रही हैं पार्टी ?

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रांची ब्यूरो(झारखंड)।झारखंड विधानसभा का चुनाव नजदीक है।सभी पार्टियां मैदान में उतरने की तैयारी में है।जयराम महतो ने रविवार को ही धनबाद में घोषणा की है कि वह झारखण्ड विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे।ऐसे में भाजपा कोयलांचल के कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान से ही सही,सवाल कर रहे हैं कि ऐसा तो नहीं भाजपा निश्चित मतदाताओं को छोड़कर अनिश्चित मतदाताओं के लिए काम कर रही है।भाजपा ने झारखंड में अच्छे समय तक शासन किया है।एक समय झारखंड में पीएन सिंह,रविंद्र राय,सुनील सिंह,मृगेंद्र प्रताप सिंह,सरयू राय,गणेश मिश्रा,यदुनाथ पांडे,अभय कांत प्रसाद सरीखे सामान्य वर्ग के नेताओं की सरकार में दखल थी,लेकिन आदिवासी राज्य कहकर झारखंड में भाजपा ने मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा को बनाया।लंबे समय तक आदिवासी नेताओं के साथ भाजपा ने शासन किया।आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई गई।सवाल करने वाले कार्यकर्ता अपने सवाल के पक्ष में बताते हैं कि अर्जुन मुंडा जब मुख्यमंत्री थे,तो शिक्षक बहाली निकली थी।उस बहाली में 60% नंबर क्षेत्रीय भाषा में लाना अनिवार्य किया गया था।लेकिन सामान्य वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया तो इसे घटाकर 40% कर दिया गया।मुख्यमंत्री जब रघुवर दास बने तो उन्होंने भी आदिवासी के विकास पर तत्परता दिखाई और संथाल के वोटरों को अपना बनाने के चक्कर में कोल्हान की अधिकतर सीटें गंवा दी। 2024 लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।यह अलग बात है की पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों पर बीजेपी हार गई।कार्यकर्ता नाम नहीं छापने के शर्त पर कहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक है।ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री को प्रभारी नियुक्त किया है।असम के मुख्यमंत्री का सिर्फ आदिवासी बड़े नेताओं के घर जाना और सामान्य वर्ग के नेताओं से न मिलना,पार्टी के लिए अच्छा संदेश नहीं दे रहा है।भाजपा को अपने कोर वोटरों की भी चिंता करनी चाहिए। झारखंड में भाजपा को सामान्य वर्ग के नेताओं जैसे रविंद्र राय,निशिकांत दुबे,पशुपतिनाथ सिंह,गणेश मिश्रा,अरविंद सिंह,सुनील सिंह,रविंद्र पांडे,जयंत सिन्हा जैसे लोगों पर भरोसा नहीं रह गया है।राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ-साथ प्रदेश का नेतृत्व भी उनकी उपेक्षा कर रहा है।सवाल तो अब अमर बाउरी को लेकर भी नेता-कार्यकर्ता कर रहे है।कह रहे हैं कि झारखंड में विपक्ष के नेता के दावेदार रहे रांची विधानसभा से 6 बार के विधायक सीपी सिंह की उपेक्षा कर झारखंड विकास मोर्चा से आए अमर कुमार बाउरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है।एक सवाल यह भी किए जा रहे हैं कि गोड्डा लोकसभा से चार बार के सांसद निशिकांत दुबे को मंत्री नहीं बना कर राजद से आई अन्नपूर्णा देवी को मंत्री बनाया गया है।संजय सेठ को भी मंत्री बनने पर कार्यकर्ता सवाल कर रहे है।जो भी हो,लेकिन इन सब बातों को लेकर कार्यकर्ताओं में तो नाराजगी है ही,कोर वोटर भी अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे है।देखना होगा कि बीजेपी इन सब मुद्दों पर कैसे आगे बढ़ती है।सबको साथ लेकर चलने की क्या तरकीब अपनाती है।

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