अमित शाह-कुशवाहा की सिक्रेट मीटिंग से पटना में सियासी ‘हीटवेव’


नयी दिल्ली ब्यूरो।दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा की भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह से बंद कमरे में करीब 45 मिनट की मीटिंग ने पहले से लू की चपेट में झुलसते बिहार का सियासी पारा भी काफी बढ़ा दिया है।आज शुक्रवार को दिल्ली से पटना लौटे कुशवाहा ने मीडिया से कहा कि वे समय आने पर अमित शाह से क्या बात हुई,यह बता देंगे।लेकिन उन्होंने 2024 पर दो टूक कह दिया कि पीएम मोदी के सामने इस चुनाव में कोई नहीं टिकेगा।अमित शाह से रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशवाहा की मीटिंग के बाद यह माना जा रहा है कि वे एनडीए को मजबूत करने जा रहे हैं।जदयू से अलग होकर नई पार्टी के गठन के बाद उपेंद्र कुशवाहा की अमित शाह से यह पहली मुलाकात है।इस मुलाकात में बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद थे।अंदरखाने से पता चला कि है कि कुशवाहा अपने लिए 5 सीट चाहते हैं जिसमें से एक काराकाट से वे खुद लड़ने की इच्छा रखते हैं। वहीं भाजपा इस बार भी कुशवाहा को वही 3 सीट ही देना चाह रही है।लेकिन खास बात यह कि दोनों ही पक्ष इसे लेकर अड़ियल रवैया नहीं दिखा रहे।बीजेपी के लिए कुशवाहा वोट कई सीटों पर अहम।राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अभी बीजेपी के कई मौजूदा सांसदों की सीट ऐसी है,जहां कुशवाहा वोट जीत का कारण बनते रहे हैं।उजियारपुर उन्हीं में से एक है जहां कुशवाहा वोट का काफी महत्व है।इसी तरह कई अन्य सीट पर भी कुशवाहा वोट काफी अहम है जो भाजपा के लिए काफी लाभदायक रहेगा।यही कारण है कि कई भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय भी चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए गठबंधन में शामिल हो जाएं।
कुशवाहा की बात करें तो अमित शाह के साथ इस मीटिंग में उन्होंने अपने लिए काराकाट लोकसभा सीट की डिमांड जरूर रखी है।यहीं से वे सांसद चुने गए थे।इसके बाद कुशवाहा सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर,पूर्णिया और जहानाबाद सीट पर अपनी दावेदारी रख रहे हैं।सीतामढ़ी और जहानाबाद में 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।पूर्णिया और वाल्मीकिनगर सीट पर भी उपेंद्र कुशवाहा पूर्व का हवाला देकर ही दावेदारी कर रहे हैं।कयास यह है कि इसी अप्रैल माह के आखिर में जब उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के गढ़ नालंदा में 28,29 और 30 अप्रैल को रालोजद के शिविर में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।