Dainik india today

Hindi News, Breaking News in Hindi, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Dainik India Today(दैनिक इंडिया टुडे)

बिहार : नहीं होगा खटास का असर,जेडीयू सांसद हरिवंश ही बने रहेंगे राज्यसभा के उपसभापति!

1 min read
{"remix_data":[],"remix_entry_point":"challenges","source_tags":["local"],"origin":"unknown","total_draw_time":0,"total_draw_actions":0,"layers_used":0,"brushes_used":0,"photos_added":0,"total_editor_actions":{},"tools_used":{},"is_sticker":false,"edited_since_last_sticker_save":false,"containsFTESticker":false}

ब्यूरोचीफ,पटना:भले ही बिहार में जनता दल(यूनाइटेड)और बीजेपी का गठबंधन खत्म हो गया हो फिर भी इस खटास की आंच राज्यसभा के उपसभापति तक आने की कोई आशंका नहीं है।जबकि यह पद जेडीयू सांसद हरिवंश के पास है।इसकी वजह है कि यह कोई मंत्री पद नहीं बल्कि संवैधानिक पद है। हरिवंश के एक करीबी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर पत्रकारों को बताया कि जेडीयू नेता एक संवैधानिक पद पर हैं।जो लोग इस तरह के पद पर बैठे हैं,वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते हैं।यानी वह दलगत राजनीति से ऊपर हो जाते हैं।पत्रकारों के एक सवाल पर उन्होंने कहा,“उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए?वे हरगिज ऐसा नहीं करेंगे।” इन संवैधानिक और दलगत पदों की थोड़ी और व्याख्या की जाए तो साफ दिखाई देगा कि जिस भी दल से कोई नेता विधायिका का नेता सदन चुना जाता है वह केवल अपने ही दल के लोगों को बोलने का मौका दे।ऐसा जरूरी नहीं है।बल्कि उसे तो सभी दलों के लोगों को सुनना होता है।तभी तो विधायिका की कार्यप्रणाली चलती है। वहीं इन पदों पर बैठे लोगों को संबंधित पार्टी अपनी हर बैठक में बुलाए यह भी जरूरी नहीं।तभी तो पटना में नीतीश कुमार द्वारा अभी बीते 9 अगस्त को बुलाई गई जेडीयू की बैठक में हरिवंश के शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा के उपसभापति के सहयोगी ने बताया था कि उन्हें बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसलिए वह वहां नहीं गए थे। हां,नीतीश कुमार के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है। गौरतलब है कि 8 अगस्त 2018 को हरिवंश को राज्यसभा के उपसभापति के रूप में चुना गया था।14 सितंबर,2020 को संसद के ऊपरी सदन में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए लौटने के बाद उन्हें राज्यसभा के उपसभापति के रूप में फिर से चुना गया था।बिहार के एक अन्य जेडीयू नेता ने कहा कि हरिवंश के नाम का प्रस्ताव बीजेपी ने दिया था और उन्हें कई दलों के समर्थन से चुना गया था। फिलहाल जो राजनीतिक परिस्थितियां हैं उसमें राज्यसभा के उपसभापति को उनके पद से तभी हटाया जा सकता है जब भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास व्यक्त करे।●भविष्य में मिल जाएंगे ऐसे तमाम उदाहरण:-
प्रो.पीजे कुरियन(कांग्रेस)21 अगस्त 2012को राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे और वर्ष 2014में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बदल गई।इसके बावजूद 1 जुलाई 2018 तक अपने पद पर बने रहे।●दूसरा उदाहरण:-देखिए।कांग्रेस की नजमा हेपतुल्ला 18नवंबर, 1988 से 4 जुलाई,1992, 10 जुलाई 1992 से 4 जुलाई 1998 और 9जुलाई 1998 से 10जून 2004 तक राज्यसभा की उपसभापति रहीं।इस बीच चार बार सरकार बदली,लेकिन वह उपसभापति के रूप में अपना काम करती रहीं। माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी का भी उदाहरण दिया जा सकता है। 4 जून 2004 को 14वीं लोकसभा के वे अध्यक्ष चुने गए थे।माकपा केंद्र में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) सरकार की सहयोगी थी। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर माकपा ने जुलाई 2008 में सरकार से समर्थन वापस ले लिया पर लोकसभा अध्यक्ष का पद चटर्जी ने ही संभाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
नमस्कार,दैनिक इंडिया टुडे में आपका हार्दिक अभिनंदन हैं, यहां आपकों 24×7 के तर्ज पर पल-पल की अपडेट खबरों की जानकारी से रूबरू कराया जाएगा,खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें- +91 8987356495 हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें साथ ही फेसबुक पेज को लाइक अवश्य करें।धन्यवाद