नीतीश सरकार में अखबारों में ही मिलते हैं शिक्षकों को वेतन,बिना वेतन गुजर रहा दिवाली और छठ:मृत्युंजय


ब्यूरो,जमुई।राज्य सरकार की उदासीनता और विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को दीपावली एवं छठ जैसे महापर्व में भी वेतन नहीं मिलना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए टेट/एसटेट उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ(गोप गुट),जमुई के जिलाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार ने बताया कि महागठबंधन की सरकार बनने पर सबसे ज्यादा खुश शिक्षक समुदाय हीं हुआ था।क्योंकि एनडीए गठबंधन के सरकार में शिक्षकों के साथ हमेशा उपेक्षापूर्ण रवैया रहा वहीं महागठबंधन के घोषणा पत्र शिक्षकों के पक्ष में पूर्ण रूप से था,उनके नेताओं के बयान से ऐसा प्रतीत होता था कि महागठबंधन की सरकार आने के पश्चात शिक्षकों के दिन बदल जाएंगे।शिक्षको की मुख्य मांग जैसे समान काम समान वेतन,राज्यकर्मी का दर्जा,पुरानी पेंशन त्वरित पूरी हो जाएगी।लेकिन इसके उलट सरकार बनने के बाद शिक्षा मंत्री के लगातार शिक्षक विरोधी बयान और पूर्व की सरकार की भांति केवल अखबारों में वेतन की घोषणा शिक्षकों में घोर निराशा पैदा कर रही है।पूर्व में भी त्योहारों के पहले शिक्षकों को वेतन के लाले पड़ते थे और आज भी हालात जस के तस हैं।सरकार की संवेदनाहीनता के कारण शिक्षकों में काफी रोष है।इस बार दिवाली जैसे पर्व में भी वेतन नहीं मिले यहां तक कि छठ में भी वेतन मिलने के आसार लगभग समाप्त ही है।शायद हम शिक्षक भूल गए सरकार बदला है शिक्षको के प्रति बैर रखने वाले सरकार के मुखिया वही है।सरकार की स्थानातरण नीति के लिए सॉफ्टवेयर बीरबल की खिचड़ी की तरह बन रही है।इनके बड़े नेता अब शिक्षको पर बोलने से बचते नज़र आते है। एक माननीय मंत्री जी बोलते है तो वो भी विवादित बोल।एरियर की स्थिति और भयावह है सरकार के स्तर से इसके लिए जिलो में आवंटन पर विगत तीन वर्षों से टाल मटोल किया जा रहा है।ऐसी अराजकता में शिक्षकों से कैसी आउट पुट खोजती है सूबे की सरकार।पूरी विश्लेषण के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षको में घोर निराशा है और सरकार पूरी तरह असफल है।शिक्षकों का यह रोष सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की पृष्ठभूमि बनती जा रही है जिसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेवार है।